जानें विष्णु के किस अवतार में थी कितनी कलाएं | kalas of vishnu avatars | vishnu avatar kalaye in hindi
जानें विष्णु के किस अवतार में थी कितनी कलाएं ।
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vishnu avatar kalaye in hindi |
vishnu avatar kalaye in hindi
हम बात करे गे विष्णु अवतार और उससे जुड़ी कलाएं और हम यह भी जाने गए की कृष्ण ने ऎसी कौन सी कलाएं थी जो भगवान राम ने नी थी और भगवान कल्कि में ऐसे कौन सी कलाएं थी जो भगवान कृष्णा में नी थी।एक साधारण मनुष्य में पांच कलाएं और श्रेष्ठ मनुष्य में आठ कलाएं होती हैं।
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दोस्तो भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार है और उनके 24 वें अवतार के बारे में कहा जाता है कि‘कल्कि अवतार’के रूप में उनका आना सुनिश्चित है।उनके 23 अवतार अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके हैं।इन 24 अवतार में से 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते हैं। वह यह है मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार और , त्रेतायुग में राम अवतार। द्वापर युग में भगवान कृष्ण अवतार, आरंभिक कलयुग में बुद्ध अवतार, और घोर कलयुग में कल्कि अवतार। भगवान राम के पास 12 कलाएं थी भगवान राम एक सूर्यवंशी थे और उनमें सूर्य की 12 कलाएं थी वह थी -
. अमृता, मानदा, पूषा,. पुष्टि, . तुष्टि, रति,धृति,
. कांति, . ज्योत्स्ना, श्री, प्रीति, अंगदा
vishnu ke 10 avatar in hindi name
भगवान राम 12 कलाएं गी थी और इसी लिए भगवान राम को पूर्ण अवतार नहीं माना जाता है।दोस्तों अगर हम बात करें भगवान कृष्ण की तो गई चंद्रवंशी थे और उन में चंद्रमा की सभी कल आए थे और वह 16 कलाओं से परिपूर्ण थे और वह यह है-
1.बुद्धि का निश्चयात्मक हो जाना।
2.अनेक जन्मों की सुधि आने लगती है।
3.चित्त वृत्ति नष्ट हो जाती है।
4.अहंकार नष्ट हो जाता है।
5.संकल्प-विकल्प समाप्त हो जाते हैं। स्वयं के स्वरुप का बोध होने लगता है।
6.आकाश तत्व में पूर्ण नियंत्रण हो जाता है। कहा हुआ प्रत्येक शब्द सत्य होता है।
7.वायु तत्व में पूर्ण नियंत्रण हो जाता है। स्पर्श मात्र से रोग मुक्त कर देता है।
8.अग्नि तत्व में पूर्ण नियंत्रण हो जाता है। दृष्टि मात्र से कल्याण करने की शक्ति आ जाती है।
9.जल तत्व में पूर्ण नियंत्रण हो जाता है। जल स्थान दे देता है। नदी, समुद्र आदि कोई बाधा नहीं रहती।
10.पृथ्वी तत्व में पूर्ण नियंत्रण हो जाता है। हर समय देह से सुगंध आने लगती है, नींद, भूख प्यास नहीं लगती।
11.जन्म, मृत्यु, स्थिति अपने आधीन हो जाती है।
12.समस्त भूतों से एक रूपता हो जाती है और सब पर नियंत्रण हो जाता है। जड़ चेतन इच्छानुसार कार्य करते हैं।
13.समय पर नियंत्रण हो जाता है। देह वृद्धि रुक जाती है अथवा अपनी इच्छा से होती है।
14.सर्व व्यापी हो जाता है। एक साथ अनेक रूपों में प्रकट हो सकता है। पूर्णता अनुभव करता है। लोक कल्याण के लिए संकल्प धारण कर सकता है।
15.कारण का भी कारण हो जाता है। यह अव्यक्त अवस्था है।
16.उत्तरायण कला- अपनी इच्छा अनुसार समस्त दिव्यता के साथ अवतार रूप में जन्म लेता है जैसे राम, कृष्ण यहां उत्तरायण के प्रकाश की तरह उसकी दिव्यता फैलती है।
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जिन लोगों में भी ये सभी कलाएं अथवा इस तरह के गुण होते हैं वे ईश्वर की तरह ही होते हैं। हालांकि, किसी इंसान में इन सभी गुणों का एक साथ मिलना असंभव है।ये सभी गुण केवल द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के अवतार मे थे ।
दोस्तो भगवान कृष्ण में १६ कलाएं थी परंतु कलयुग में केवल क्यों का अंतिम अवतार कल्कि अवता एक ऐसा अवतार होगा जो पूर्वा निष्कलंक होगा और 64 कला से परिपूर्ण होगा वह यह है- दोस्तों इन सभी कलाओं को एक वीडियो में विस्तार से बताना संभव नहीं है यदि आप इन्हें विस्तार से जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट करे हम उस पर विस्तार से वीडियो जरूर बनाएंगे-
1- गानविद्या
2- वाद्य - भांति-भांति के बाजे बजाना
3- नृत्य
4- नाट्य
5- चित्रकारी
6- बेल-बूटे बनाना
7- चावल और पुष्पादि से पूजा के उपहार की रचना करना
8- फूलों की सेज बनान
9- दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना
10- मणियों की फर्श बनाना
11- शय्या-रचना (बिस्तर की सज्जा)
12- जल को बांध देना
13- विचित्र सिद्धियाँ दिखलाना
14- हार-माला आदि बनाना
15- कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना
16- कपड़े और गहने बनाना
17- फूलों के आभूषणों से श्रृंगार करना
18- कानों के पत्तों की रचना करना
19- सुगंध वस्तुएं-इत्र, तैल आदि बनाना
20- इंद्रजाल-जादूगरी
21- चाहे जैसा वेष धारण कर लेना
22- हाथ की फुती के काम
23- तरह-तरह खाने की वस्तुएं बनाना
24- तरह-तरह पीने के पदार्थ बनाना
25- सूई का काम
26- कठपुतली बनाना, नाचना
27- पहली
28- प्रतिमा आदि बनाना
29- कूटनीति
30- ग्रंथों के पढ़ाने की चातुरी
31- नाटक आख्यायिका आदि की रचना करना
32- समस्यापूर्ति करना
33- पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना
34- गलीचे, दरी आदि बनाना
35- बढ़ई की कारीगरी
36- गृह आदि बनाने की कारीगरी
37- सोने, चांदी आदि धातु तथा हीरे-पन्ने आदि रत्नों की परीक्षा
38- सोना-चांदी आदि बना लेना
39- मणियों के रंग को पहचानना
40- खानों की पहचान
41- वृक्षों की चिकित्सा
42- भेड़ा, मुर्गा, बटेर आदि को लड़ाने की रीति
43- तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना
44- उच्चाटनकी विधि
45- केशों की सफाई का कौशल
46- मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना
47- म्लेच्छित-कुतर्क-विकल्प
48- विभिन्न देशों की भाषा का ज्ञान
49- शकुन-अपशकुन जानना, प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना
50- नाना प्रकार के मातृकायन्त्र बनाना
51- रत्नों को नाना प्रकार के आकारों में काटना
52- सांकेतिक भाषा बनाना
53- मनमें कटकरचना करना
54- नयी-नयी बातें निकालना
55- छल से काम निकालना
56- समस्त कोशों का ज्ञान
57- समस्त छन्दों का ज्ञान
58- वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या
59- द्यू्त क्रीड़ा
60- दूरके मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण
61- बालकों के खेल
62- मन्त्रविद्या
63- विजय प्राप्त कराने वाली विद्या
64- बेताल आदि को वश में रखने की विद्या
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