भगवान शिव का जन्म कैसे और कहां हुआ? | bhagwan shiv ka janam kaise hua in hindi | bhagwan shiv shankar history | mahakaal

भगवान शिव का जन्म कैसे और कहां हुआ?

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 bhagwan shiv ka janam kaise hua in hindi



आज हम बात करेगे शिव जी के बारे में की भगवान शिवजी की उत्पत्ति कैसे हुई,
क्या शिव जी सर्व श्रेष्ठ है।तो चलिए जानते हैं कि आखिर भगवान शिवजी की उत्पत्ति कैसे हुई थी।
अगर आप कोई भी पुराण या ग्रन्थ पढ़ेंगे तो आपको कहीं भी यह नहीं पता चलेगा कि शिव जी कब और कैसे पैदा हुए थे। दरअसल ब्रम्हांड में एक शक्ति पहले से ही स्थित थी, जिसे ईश्वर के नाम से भी जानते हैं, और जिसका कोई न तो आकार था न ही कोई स्वरुप,यही शक्ति शिवजी का निराकार रूप थी।

लेकिन अभी तक न तो ब्रम्हांड में कोई जीव था न ही जंतु, एक बार ईश्वर ने श्रष्टि की रचना करने के बारे में सोचा, तब उन्होंने विष्णु जी को बनाया और विष्णु जी की नाभि से उन्होंने कमल पैदा किया फिर ब्रह्मा जी का जन्म हुआ, विष्णु जी पाताल में रहते और ब्रम्हा जी समुद्र के ऊपर । इसी कारण से एक दूसरे के होने का पता भी नहीं चला।

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दोनों में युद्ध बहुत बढ़ गया, तब ईश्वर को प्रतीत हुआ कि उन्हें इस युद्ध को शान्त करवाना चाहिए। परंतु दोनों को यह पता नहीं था कि इनके अलावा भी कोई इस ब्रह्माण्ड में उपस्थित है।,

तभी ईश्वर अर्थात शिवजी ने एक विराट स्तम्भ का रूप लिया और अचानक ब्रम्हा और विष्णु के बीच आ गए। यह स्तम्भ सूर्य की तरह प्रकाशवान था। इससे भीषण आग और तेज़ रोशनी निकल रही थी, आग निकलने के कारण दोनों अलग हो गए और तब उन्हें प्रतीत हुआ की उनके बीच में यह स्तंभ कहां से आ गया जब इस जगत में हम दोनों ही हैं तब ब्रह्माजी बोले जो इस स्तंभ का अंत पता करेगा वही श्रेष्ठ होगा और वही ईश्वर कहा जाएगा तब इसका पता लगाने के लिए विष्णु जी स्तंभ के नीचे आए और ब्रह्माजी स्तंभ के ऊपर गए विष्णु जी नीचे जाते जा रहे थे लेकिन उन्हें कोई अंत नहीं मिला तब उन्होंने सोचा कि अब मैं हार गया।

ब्रह्माजी सबसे श्रेष्ठ कहलाएंगे वही ब्रह्मा जी भी ऊपर जाते जा रहे थे लेकिन उन्हें भी कोई अंत नहीं मिल रहा था कि तभी उन्हें एक केतकी का फूल नजर आया और वे उस फूल को सबूत के तौर पर ले आए फिर दोनों एक ही स्थान पर मिले विष्णु जी ने कहा कि उन्हें कोई अंत नहीं मिला पर  ब्रह्मा जी ने झूठ बोलते हुए कहा कि मुझे अंत मिल गया फिर उन्होंने कहा कि मैंने यह फूल स्तंभ के ऊपर पाया तब विष्णु जी  ब्रह्मा जी के पैरों पर गिर गए यह सब शिवजी देख और सुन रहे थे ब्रह्मा जी को झूठ बोलते देख उन्हें प्रकट होना पड़ा तब उन्होंने पहली बार अपना साकार रूप दिखाया उन्होंने कहा जो भी हो रहा है मेरे द्वारा हो रहा है मैं ही ईश्वर हूं मैं ने हीं तुम दोनों को जन्म दिया है तुम्हें मेरा ही ध्यान करना चाहिए उन्होंने बताया यह स्तंभ मेरा ही निराकार रूप है ।
 जिसका कोई आकार नहीं ना ही कोई अंत।

मैं ही हूं जिसके दो रूप हो सकते हैं एक तो यह साकार रूप जिसमें तुम मुझे देख पा रहे और दूसरा मेरा एक रूप जो निराकार रूप है तब शिव जी नर कहा हे ब्रह्मा तुम झूठ बोल रहे हो जिस कारण ब्रह्मा जी को सजा दी गई।

यदि आपको इस कहानी का दूसरा भाग जानना है तो तो कमेंट में हमें बताएं।

दोस्तों हमने जाना कि शिव की उत्पत्ति कैसे हुई और विष्णु और ब्रह्मा के बीच युद्ध क्यों हुआ इस घटना का वर्णन शिव पुराण में मिलता है।

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