कर्ण विवाह: दो कन्याओं को बनाया था जीवन संगिनी- mahabharat facts karna second wife in mahabharat | karna story of life in hindi | Mahabharat
कर्ण विवाह: दो कन्याओं को बनाया था जीवन संगिनी।
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कर्ण को लोग आज भी एक ऐसे महायोद्धा की तरह देखते है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। लोगों का यह भी मानना है। कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था। देखा जये तो कर्ण ही हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही। कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है। उन्हें दानवीर कर्ण भी कहा जाता है।
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आईये बात करते है कर्ण की दूसरी पत्नी के बारे मे।कर्ण की पहली पत्नी का जिक्र श्रीमद्भगवत महापुराण के स्त्री पर्व मे मिलता हैं।कर्ण की दूसरी पत्नी के नाम पर मतभेद है कई जगहो पर सुप्रिया,पद्मावती और उर्वी नाम मिलते है।चलिये जानते है कर्ण की पत्नी पद्मावती के बारे मे।Urvi Love story in hindi
राजा चित्रवत की बेटी असांवरी और उसकी दासी ध्यूमतसेन की सूत कन्या पद्मावती (जिसे लोगों ने सुप्रिया नाम भी दिया है) एक दिन वन की सैर के लिए निकलीं।तभी उन पर दुश्मन देश के सैनिकों ने हमला कर दिया।असांवरी के प्राणों को संकट में देखकर पद्मावती सामने आ गई और घायल हो गई।तभी वहां से अंगराज कर्ण गुजरे,दोनो कन्याओं को संकट में फंसा जानकर उन्होंने उनकी मदद की और सैनिकों को अपनी तीरों से मार गिराया।इस दौरान वे खुद भी घायल हो गए।क्या है माता वैष्णो देवी और भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का रहस्य
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पद्मावती ने देर न करते हुए राजकुमारी और कर्ण को रथ में बैठाया।राजकुमारी को उनके राजमहल में छोडने के बाद वह कर्ण को लेकर अपने घर आ गई।जहां वैद्य ने उनका उपचार किया।
जब कर्ण ने आंखें खोली तो पद्मावती को अपने सामने पाया।दोनों की बीच उस घटना को लेकर बातचीत हो रही थी कि तभी राजमहल से सैनिक आये और उन्होंने कर्ण से कहा कि राजा चित्रवत आपके बहुत आभारी हैं वे चाहते हैं कि आप उनके महल में ठहरें।कर्ण जब महल पहुंचे तो राजकुमारी असांवरी ने उनका स्वागत किया।
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कर्ण और असांवरी के बीच अनायास ही एक रिश्ता बन गया।दोनों मन ही मन एक दूसरे को चाहने लगे।वहीं दूसरी ओर पद्मावती भी कर्ण को पसंद करने लगी थी। असांवरी अपने मन की बात पद्मावती के सिवा किसी और से नहीं करती थी इसलिए उसने पद्मावती को बताया कि वह कर्ण को पसंद करती है।यह सुनकर पद्मावती ने अपने प्रेम क भाव को मन में ही छिपा लिया।जब कर्ण स्वस्थ्य हो गए तो उन्होंने महल से प्रस्थान करने की तैयारी की।तब राजा चित्रवत ने उनसे कहा कि आपने मेरी बेटी की रक्षा की है, इसके बदले आप मुझसे जो चाहे वह मांग सकते हैं।
कर्ण ने देर न करते हुए राजकुमारी असांवरी का हाथ मांग लिया।यह सुनकर राजा चित्रवत क्रोधित हो गए।उन्होंने कहा कि मुझे तुम्हारे शौर्य पर पूरा विश्वास है पर समाज और जाति व्यवस्था भी कोई चीज होती है। मैं सूत पुत्र से अपने बेटी का विवाह नहीं करूंगा।
कर्ण वहां से खाली हाथ चले गए पर मन क्रोध से भर उठा।राजा ने देर न करते हुए असांवरी के स्वयंवर का एलान कर दिया।जब कर्ण को इस बात का पता चला तो कर्ण भी स्वयंवर में जा पहुँचे जिसे देखकर राजा चित्रवत फिर क्रोधित हो गए।
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सभा में उपस्थित सभी राजकुमारों ने कहा कि यदि सूतपूत्र इस स्वयंवर में शामिल होगा तो हम हिस्सा नहीं लेंगे।इस पर कर्ण ने उन्हें चुनौती दी और एक के बाद एक सभी राजकुमारों को परास्त कर दिया।असांवरी और पद्मावती दोनों यह द्र्श्य देख रही थीं।असांवरी ने सभी के सामने कर्ण से विवाह की इच्छा जाहिर की पर कर्ण ने उसे अस्वीकार कर दिया।रात का सफर। inspirational story in hindi with images। Hindi story
कर्ण ने कहा कि तुम मेरी शक्ति के प्रदर्शन से उत्साहित होकर ऐसा कर रही हो।मुझे तुम्हारी दया की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद वह पद्मावती के पास पहुंचे और कहा कि मुझे प्रेम की आवश्यकता है। पद्मावती ने कर्ण को देखा और उनका आशय समझ गई।कर्ण ने असांवरी की वर माला पद्मावती को सौंपी और दोनों ने वहीं विवाह कर लिया।
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